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कदम

Aakash Parihar (Batch of 2017)

हर कदम थमती है धड़कन मेरी

हर कदम सहमति है हिम्मत मेरी

हर कदम मुकरती है किस्मत मेरी

हर कदम झपकती है पलके मेरी।

आम है मचलना मेरा इस सफर में

आम है मुकरना किस्मत का सफर में

सफर, जो होता है छोटा इन कदमो से

रास्ता जो बना है इन कदमो से।

ये रास्ता जो जोडें मेरे सफर को मेरी मंज़िल से

उस मंज़िल से, जिसके इंतज़ार में पूरा योवन बीता

जिसके दीदार ने मेरे सफर की थकान को तोडा

जिसके लिए हमने इन कदमो को थमने से रोका।।

Published in Poetry

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